Considerations To Know About sidh kunjika



देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।

क्लीङ्कारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥ ८ ॥

कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।

श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः

इसके प्रभाव से जातक उच्चाटन, वशीकरण,  मारण, मोहन, स्तम्भन जैसी सिद्धि पाने में सफल होता here है.

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